राजस्थान: जयपुर महामारी से लड़ने के लिए देश में सरकार लगातार प्रयास कर रही है लाकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की जा रही है लेकिन उसके बाद भी कुछ लोगों की लापरवाही की वजह से कई लोगों की जान आफत में आ रही है। मंदिर में रहने वाले एक साधू की चिलम पीने की लत ने फेलाया कोरोना वायरस।
मामला जयपुर शहर का है, शहर पहले से ही बड़े शहरों में बीमारों की संख्या को लेकर बदनाम हो चुका है, उसके बाद भी लोग समझने को तैयार नहीं है, खुद की लापरवाही के कारण इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में सरकार को मेडिकल विभाग से उम्मीद लगाना व्यर्थ साबित हो रहा है।
दरअसल ट्रांसपोर्ट नगर थाना इलाके में स्थित प्राचीन मंदिर सात साधु रहे थे, वहां उन्होंने मंदिर में पूजा पाठ करने के साथ-साथ 20 से ज्यादा गाय भी रखी हुई हैं, और यही उनकी देखभाल करते हैं, पॉश कॉलोनी में स्थित इस मंदिर के आसपास रहने वाले लोग मंदिर में पूजा करने आते हैं तो गायो के लिए चारा भी लेकर आने लगे।
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उसके बाद साधु मंदिर में ही गायों का दूध बेचने लगे, आसपास रहने वाले 50 से भी ज्यादा परिवार उनके ग्राहक हो गए। पिछले कुछ महीनों से यही सब चल रहा था और इसी तरह से चल रहा था लेकिन इस सप्ताह बड़ा धमाका हो गया। मंदिर में रहने वाले एक साधू की चिलम पीने की आदत ने पूरी चैन बना दी।
ट्रांसपोर्ट नगर चौराहे पर कुछ लोगों के साथ चिलम पीने वाले साधु के कारण मंदिर में रहने वाले अन्य साधुओं की परेशानी बढ़ गई। चिलम पीने वाले साधु की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद हंगामा मच गया। मंदिर में रहने वाले लगभग सभी साधुओं को करन्टाइन भेजा गया।
पास ही स्थित हनुमानजी के मंदिर में रहने वाले 30 लोगों के परिवार को भी बगरु में क्वारंटाइन किया गया। निगम ने मंदिर में रहने वाली गायों को भी वहां से हटाया और गौशाला भेजा वहां से दूध लेने वाले चारा डालने वाले करीब 50 परिवारों के 300 लोगों की जानकारी जुटाई गई और उनके बाद उन सभी को होम क्वारंटाइन कर दिया गया।
मंदिर को भी आगामी आदेश तक बंद कर दिया गया स्थानीय निवासी नरेश अग्रवाल ने बताया कि कभी नहीं सोचा था दूध लेने और चारा खिलाने से भी कोई परेशानी हो सकती है।
सेठी कॉलोनी स्थित राधा वल्लभ जी के मंदिर में जो हुआ उस से 4 गुना ज्यादा गलता गेट स्थित एक बड़े मंदिर की है। दिल्ली रोड स्थित गलता गेट पर एक बड़े मंदिर में करीब 70 से ज्यादा साधु रहते हैं मंदिर में ही गाय भी रहती हैं और साथ ही आसपास रहने वाले गायों के भी सवेरे यही चारा खाती हैं।
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यहां चारा बेचने वाले दो लोग करीब एक हजार से भी ज्यादा चारे के गट्ठर बेच देते हैं, सवेरे 5:00 7:00 बजे के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग इनसे चारा लेते हैं और यह चारा गायों को खिलाया जाता है इन्हीं गायों का दूध भी दोहा जाता है बड़ी बात यह है कि इस इलाके में कर्फ्यू क्षेत्र में आता है उसके बाद ही पुलिस और प्रशासन का कोई यहाँ इंतजाम नहीं है।