पश्चिम बंगाल: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र को कोविड 19 के समय में सियासत नहीं करनी चाहिए।पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए हुई बैठक में ममता बनर्जी ने केंद्र के रवैए पर नाराज़गी जताई और कहा कि राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उन्होंने इस बैठक के दौरान कहा कि एक राज्य के रूप में वे कोरोना वायरस से निपटने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं, लेकिन हमसे हमारी राय नहीं पूछी जाती।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सभी राज्यों को बराबर का महत्व मिलना चाहिए और सभी को मिल-जुलकर टीम इंडिया की तरह काम करना चाहिए।उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में अंतरराष्ट्रीय सीमा भी है, तो अन्य बड़े राज्यों की अपनी अलग चुनौतियाँ हैं।
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इसलिए देश के संघीय ढाँचे का सम्मान किया जाना चाहिए।कोविड 19 महामारी से निपटने को लेकर केंद्र और पश्चिम बंगाल की सरकार के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है और बयानबाज़ी भी ख़ूब हुई है। मार्च में एक केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल का दौरा भी किया था।
पश्चिम बंगाल पर ये आरोप लगा था कि वहाँ लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा है और कोरोना वायरस के मामलों की ग़लत जानकारी दी जा रही है।इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराज़ होकर प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि केंद्रीय टीम के दौरे के बारे में उन्हें जानकारी तक नहीं दी गई थी।
उन्होंने केंद्र से ये भी पूछा था कि उनके ही राज्य को केंद्रीय टीम के दौरे के लिए क्यों चुना गया। दूसरी ओर केंद्रीय टीम ने आरोप लगाया कि उन्हें राज्य सरकार से सहयोग नहीं मिला। हालांकि राज्य सरकार ने इसका खंडन किया।
केंद्र का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में जनसंख्या के अनुपात में काफ़ी कम टेस्टिंग हुई है, जबकि मृत्यु की दर वहाँ देश में सबसे ज़्यादा है।दूसरी ओर पश्चिम बंगाल का तर्क है कि शुरू में कम मामले इसलिए सामने आएँ क्योंकि आधारभूत सुविधाओं की कमी थी और इस कारण वहाँ मृत्यु की दर अधिक है।केंद्र ने भारत और बांग्लादेश के बीच सामानों की आवाजाही पर ममता सरकार की रोक को लेकर भी नाराज़गी जताई थी।
केंद्र का कहना था कि किसी भी देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ होती हैं और इससे उस पर उल्टा असर पड़ सकता है।उन्होंने केंद्र से ये भी पूछा था कि उनके ही राज्य को केंद्रीय टीम के दौरे के लिए क्यों चुना गया। दूसरी ओर केंद्रीय टीम ने आरोप लगाया कि उन्हें राज्य सरकार से सहयोग नहीं मिला। हालांकि राज्य सरकार ने इसका खंडन किया।
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केंद्र का आरोप है कि पश्चिम बंगाल में जनसंख्या के अनुपात में काफ़ी कम टेस्टिंग हुई है, जबकि मृत्यु की दर वहाँ देश में सबसे ज़्यादा है।दूसरी ओर पश्चिम बंगाल का तर्क है कि शुरू में कम मामले इसलिए सामने आएँ क्योंकि आधारभूत सुविधाओं की कमी थी और इस कारण वहाँ मृत्यु की दर अधिक है।
केंद्र सरकार ने भारत और बांग्लादेश के बीच सामानों की आवाजाही पर ममता सरकार की रोक को लेकर भी नाराज़गी जताई थी। केंद्र का कहना था कि किसी भी देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ होती हैं और इससे उस पर उल्टा असर पड़ सकता है।