आदिपुरुष फिल्म बनाने के बाद इसके निर्माताओं की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। मंगलवार को दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्माताओं को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट का कहना था कि अब मनोज मुंतशिर शुक्ला जवाब देंगे कि सहिष्णु माने जाने वाले हिंदुओं की आस्था के साथ उन्होंने खिलवाड़ क्यों किया।
बेंच ने सख्त लहजे में कहा कि क्या सेंसर बोर्ड ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है, भगवान हनुमान और सीता मां को ऐसा दिखा कर समाज में क्या संदेश देना चाहते हैं। हिंदू समाज की सहनशीलता की परीक्षा क्यों ली जा रही है।भगवान का शुक्र है कि उन्होंने (हिन्दुओं ने) कानून-व्यवस्था नहीं तोड़ा।
फिल्म में जिस तरह के संवाद इस्तेमाल किए गए हैं उसे लेकर कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि फिल्म में भगवान हनुमान, माता सीता को जिस तरह से दिखाया गया वो किसी की समझ में नहीं आ रहा। कोर्ट ने कहा कि अच्छा है कि लोगों ने फिल्म देखने के बाद कानून-व्यवस्था नहीं तोड़ी। मेकर्स ने शायद विषय की गंभीरता को समझा ही नहीं था।
रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाए जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण जी को संजीवनी देते हुए दिखाना, आपत्तिजनक संवाद और अन्य सभी तथ्यों को कोर्ट में रखा गया जिस पर कोर्ट ने सहमति जताई।