हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा आतं#कवाद के आरोप में की गई मुस्लिम युवकों गिरफ्तारियों पर उठ रहे सवालों के बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट से गिरफ्तार किए गए युवक निर्दोष साबित होते हैं तो सज़ा उन्हें जबरन पकड़ने वालों को मिलनी चाहिए।

एनआईए की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े करते हुए शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए मुस्लिम नौजवान दोषी हैं या नहीं यह कोर्ट फैसला करेगी। कोर्ट ही बताएगा कि जो सबूत पेश किए गए हैं उनकी क्या अहमियत है। अक्सर देखने को मिलता है इस तरह के मामलों में एनआईए और पुलिस की ओर से जो सबूत पेश किए जाते हैं उनकी कोर्ट में कोई अहमियत नहीं होती और सही पैरवी होने के चलते गिरफ्तार किए गए लोग कोर्ट से बाइज्जत बरी कर दिए जाते हैं।

उन्होंने मीडिया पर भी निशाना साधा : उन्होंने कहा कि मीडिया उनके बरी होने की ख़बर को नहीं दिखाता। जबकि पकड़े जाने पर उसे मास्टर माइंड बता देता है. मौलाना मदनी ने कहा कि अगर कोई सच में देश विरोधी है तो वह सजा का हकदार है उसे जो चाहे सजा दे दो, लेकिन अगर वह देश विरोधी नहीं है और उन्हें साज़िश के तहत फंसाया गया है तो जिन लोगों ने उन्हें फंसाया है उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए। बता दें कि हाल ही में एनआईए ने दिल्ली और यूपी की 17 जगहों पर छापेमारी करते हुए 10 लोगों को गिरफ्तार किया। एनआईए ने दावा किया कि गिरफ्तार किए गए लोग आई एस आई एस से प्रेरित होकर बने आ#तंकी संगठन हरकत उल हर्ब-ए-इस्लाम के सदस्य हैं, जो देश में बड़ी आ#तंकी घटना को अंजाम देने वाले थे।

लेकिन जब एनआईए ने छापेमारी में ज़ब्त किए गए हथि#यार पेश किए तो उसमें सुतली ब#म और देसी कट्टे भी नज़र आए। जिसके बाद से एनआईए की इस कार्रवाई पर सवाल उठने लगे। इसके साथ ही गिरफ्तार किए गए लोगों के परिजनों ने भी एनआईए पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके घर के बच्चों को जानबूझकर साज़िश के तहत फंसाया जा रहा है। छापेमारी में गिरफ्तार किए गए दो सगे भाईयों सईद और रईस के परिजनों ने बताया कि उनके घर में पहले जबरन हथि#यारों को अंदर लाया गया और फिर मारपीट कर बच्चों से इकबालनामे पर हस्ताक्षर कराए गए। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि छापे के दौरान उनके बच्चों के आईडेंटिटी कार्ड जला दिए गए।