ADVERTISEMENT
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और मुमुक्षु आश्रम के प्रमुख स्वामी चिन्मसयानंद पर दर्ज शिष्या से रेप का केस वापस लेने का फैसला किया है। इस संबंध में 9 मार्च 2018 को जिला मजिस्ट्रेट, शाहजहांपुर के कार्यालय से एक लेटर जारी किया गया है। योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पत्रकार स्वाती चतुर्वेदी ने भी इस फैसले को उन्नाव गैंगरेप प्रकरण से जोड़ते हुए ट्वीट कर कहा, “मुझे शक है कि उन्नाव रेप केस में उस पीड़िता को इंसाफ़ मिले जिसके पिता की पहले ही पुलिस कस्टडी में मौत हो चुकी है”।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में जिस बीजेपी विधायक पर बलात्कार का आरोप लगा है, पुलिस ने उसका नाम एफआईआर तक में दर्ज नहीं किया है। इस तरह उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस ने इस मामले में विधायक के भाई अतुल सेंगर को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन उस पर सिर्फ मारपीट का मामला ही दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि बलात्कार पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। पुलिस की इस कार्रवाई से स्पष्ट होता है कि न सिर्फ आरोपियों को बचाने की कोशिश हो रही है, बल्कि कानून की धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं। क्या है स्वासमी चिन्मबयानंद पर केस? अटल सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रहे स्वामी चिन्मयानंद पर बदायूं निवासी उनकी एक शिष्या ने साल 2011 में हरिद्वार स्थित आश्रम में बंधक बनाकर रेप का आरोप लगाया था।
साध्वी की शिकायत पर 30 नवंबर, 2011 को स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ शाहजहांपुर कोतवाली में रेप और जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज कराया गया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए स्वामी चिन्मयानंद हाई कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। जिसके बाद से मामला लंबित चल रहा है।