कई बार अपनी खामी को छिपाने और अपने खिलाफ शिकायत आला अफसरों तक पहुंचने से रोकने के लिए हर कोशिश पुलिसवाले करते हैं लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी थानाध्यक्ष ने अपने खिलाफ अपने ही थाने में अपनी नाकामी को सरकारी अभिलेखों में दर्ज किया है। जी, हां मेरठ के खरखौदा थानाध्यक्ष ने कार्य में अपनी लापरवाही मानते हुए अपने ही थाने की जीडी (जनरल डायरी) में अपने और अपने साथी पुलिसकर्मियों के खिलाफ टिप्पणी अंकित कर डाली।
राजेन्द्र त्यागी मेरठ के थाना खरखौदा के थानाध्यक्ष हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही थाने का चार्ज लिया। चार्ज लेते समय थानाध्यक्ष ने खुद समेत सभी पुलिसवालों के खिलाफ नियम बना दिया था कि किसी भी क्षेत्र में चोरी होने पर उस क्षेत्र के बीट कॉन्स्टेबल की जिम्मेदारी होगी। लूट होने पर बीट कॉन्सटेबल और इलाके के हल्का प्रभारी या फिर चौकी प्रभारी (दरोगा) की जिम्मेदारी होगी। जघन्य अपराध जैसे डकैती, गोकशी या हत्या आदि होने पर उसकी जिम्मेदारी बीट कॉन्स्टेबल, हल्का प्रभारी-चौकी इंचार्ज (दरोगा) और खुद थानाध्यक्ष की होगी। जिसकी भी लापरवाही पाई जाएगी, उसके खिलाफ थाने के खास रिकॉर्ड जीडी में तस्करा दाखिल किया जाएगा। अगर यह लापरवाही दो बार से ज्यादा पाई गई, तो उस पुलिसकर्मी चाहे वह खुद थानाध्यक्ष ही क्यों न हो, उसकी शिकायत आला अफसरों को भेजी जाएगी। इसके बाद आला अफसर उस पर कार्रवाई करेंगे।
थाने का चार्ज लेने के बाद से अब तक उनके क्षेत्र में छह छोटी-छोटी चोरियां हो चुकी है, जिनमें उन्होंने 6 कॉन्स्टेबल के खिलाफ जीडी में तस्करा दाखिल कर दिया। शुक्रवार को उनके क्षेत्र में गोकशी हुई है, जिसमें वह सीधा-सीधा बीट कॉन्स्टेबल, हल्का प्रभारी(दरोगा) और खुद को जिम्मेदार मानते हुए अपने ही थाने के जीडी में अपने और बीट कॉन्स्टेबल अनिल तेवतिया, हल्का प्रभारी प्रेम प्रकाश, दरोगा चंद किशोर, रात्रि प्रभारी दरोगा सुनील, कॉन्स्टेबल आजाद और नीलेश के खिलाफ जीडी में तस्करा दाखिल किया है। अपने क्षेत्र के 19 गोतस्करों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है। उनकी धरपकड़ के लिए दबिश दी जा रही है।