सिंगापुर दौरे पर गए पीएम मोदी ने नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ बातचीत में कहा कि दुनिया स्पष्ट रूप से जान चुका है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है. यह अपने आप में विश्वास करना और यह जानना आवश्यक है कि अब हमारी बारी है. हमें इस अवसर का फायदा उठाना होगा और उसका नेतृत्व करना होगा.
मानव इतिहास में वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में भारत और चीन का सदियों तक दबदबा रहा है. उस वक्त किसी तरह का संघर्ष नहीं था. हमें बिना किसी संघर्ष के कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना होगा. उन्होंने कहा कि नवाचार और नैतिकता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के कारण हमने प्रगति की है.
उन्होंने कहा कि तकनीक लोगों को सशक्त करता है. तकनीक समाज के बैरियर्स को तोड़कर उसे आगे लाता है. तकनीक को फ्रेंडली होना चाहिए और सबके लिए सुगम भी. पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं दुनिया को देखता हूं, मैं कभी मेरे देश की सेना के जवान को इतनी कठिन परिस्थिति में, कभी पानी में, कभी बर्फ के बीच में, कभी रेगिस्तान में घंटों तक देश की सेवा के लिए खड़े देखता हूं, किसी मजदूर को अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए अपनी जिंदगी घसीटते हुए देखता हूं, कभी किसी मां को घंटों तक मजदूरी करते देखता हूं तो मुझे लगता है कि जब ये लोग इतना करते हैं तो मुझे चैन से सोने का हक नहीं है. ये कॉमन मैन मेरी प्रेरणा है. इसलिए मैं बिना रुके-थके काम करता हूं. मैं 2001 से लाइम लाइट में आया हूं. लेकिन 2001 से आज तक मैंने 15 मिनट तक की भी छुट्टी नहीं ली है. मैं अपने शरीर को फिट रखता हूं.