वाशिंगटन: हाल ही में निया की दिग्गज सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक डाटा लीक करने के मामले को लेकर विवादों में चल रही है।
दुनियाभर में काफी लोग फेसबुक से अपना अकाउंट डिलीट कर रहे हैं क्यूंकि उन्हें फेसबुक अब सेफ नहीं लग रही है। वहीँ डाटा लीक मामले के कारण विवादों में घिरी दुनिया की दिग्गज सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक अब अपनी छवि सुधारने और अपने यूज़र्स में विश्वास बनाने की कोशिश में जुट गई है।
फेसबुक ने चुनावों के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों को लेकर एक नई नीति बनाई है। इस क्षेत्र में अपनी पारदर्शिता और जवाबदेही को बेहतर करने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। फेसबुक की नई नीति के अनुसार, विज्ञापनदाता की पहचान सत्यापित होने के बाद ही सियासी विज्ञापन दिखाई पड़ेंगे। इसके साथ ही विज्ञापन का भुगतान करने वाले के नाम का भी जिक्र होगा।
फेसबुक ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब उसने हाल ही में माना है कि उसके 8.70 करोड़ यूजरों के डाटा का इस्तेमाल ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) ने किया था। दरअसल फेसबुक पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस सोशल नेटवर्किंग साइट का उपयोग चुनावों को प्रभावित करने के लिए भी किया जा रहा है। फेसबुक की नई नीति के अनुसार, अब हर राजनीतिक विज्ञापन पैसा देने वाले व्यक्ति या संस्था के नाम के साथ जारी किए जाएंगे।
आपको बता दें की फेसबुक के 8 करोड़ 70 लाख यूजर्स के निजी डेटा में पॉलिटिकल कंसल्टेंसी कैंब्रिज एनालिटिका ने सेंध लगाई है। फेसबुक ने बुधवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका के साथ करीब आठ करोड़ 70 लाख यूजर्स के डेटा अनुचित ढंग से साझा किए गए हैं। इसी दौरान अपनी गलती मानते हुए जुकरबर्ग ने कंपनी को लीड करने के लिए लोगों से एक और मौका मांगा है। कॉन्फ्रेंस में जुगरबर्ग ने कहा कि जो भी हुआ वो एक बड़ी गलती थी लेकिन मुझे एक मौका और दीजिए।