ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) द्वारा हर जिले में शरिया अदालत बनाने के फैसले को लेकर हुए विवाद के बीच बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने इस पर बोर्ड का पक्ष रखा है। जिलानी ने कहा कि शरिया बोर्ड कोई कोर्ट नहीं है। उन्होंने आरएसएस और बीजेपी पर इस मामले पर राजनीति करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि आरएसएस और बीजपी शरिया कोर्ट के नाम पर राजनीति कर रही हैं। जिलानी ने यह भी साफ किया कि बोर्ड ने कभी भी हर जिले में शरिया कोर्ट बनाने की बात नहीं कही। उन्होंने बताया कि हमारा मकसद है कि इसकी स्थापना वहां की जाए, जहां इसकी जरूरत है।
जिलानी ने कहा, ‘बोर्ड अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है। यह जागरूकता फैलाने के लिए देश भर में वर्कशॉप आयोजित करेगा।’ बोर्ड के इस बयान से यह धारणा बनी कि मुस्लिम समाज को एक अलग न्यायिक व्यवस्था की जरूरत है। इस मामले पर संविधान विशेषज्ञ और नैशनल अकैडमी लीगल स्टडीज ऐंड रिसर्च के कुलपति प्रफेसर फैजान मुस्तफा का कहना है, ‘देश में ऐसे करीब 100 शरिया बोर्ड (दारूल कजा) पहले से हैं। अब 100 और खुल जाएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।