प्रतीकात्मक चित्र
उबर एयर और कई अन्य विदेशी कंपनियां उड़ने वाली टैक्सी लॉन्च करने की तैयारी कर रही हैं. लेकिन इस बीच भारत के कुछ होनहार युवा रिसर्चर स्वदेशी फ्लाइंग टैक्सी शुरू करने के प्रोजेक्ट पर काम करने जा रहे हैं. यह फ्लाइंग टैक्सी पूरी तरह से मेड इन इंडिया होगी और 2023 तक इसे तैयार करने का लक्ष्य है.
गौरतलब है कि सड़कों पर भारी ट्रैफिक और जाम रहने की वजह से अब विकसित देशों में परिवहन के वैकल्पिक साधन तैयार करने पर जोरशोर से काम हो रहा है. अब भारत भी इस दौड़ में शामिल हो गया है. गूगल, एयरबस, उबर, वॉल्वो जैसी दिग्गज कंपनियां ड्राइवरलेस कार विकसित करने पर काम कर रही हैं. उबरएयर, एलोन मस्क की बोरिंग कंपनी और हायपरलूप वन जैसी कंपनियां एयरटैक्सी या अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्ट सिस्टम विकसित करने पर काम कर रही हैं.
हम भारतीयों के लिए खुशखबरी आई है आईआईटी कानपूर से, जिसने इसी महीने एक निजी कंपनी वीटीओएल एविएशन इंडिया के साथ एक करार किया है. 15 करोड़ रुपये के इस करार के तहत आईआईटी के 100 से ज्यादा रिसर्च स्टूडेंट एक प्रोटोटाइप हवाई टैक्सी विकसित करेंगे, जिसे कॉमर्शियल फ्लाइंग टैक्सी के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा. यह प्रोजेक्ट 2023 तक पूरा होगा.
भारत में यह तकनीक अभी बहुत शैशव अवस्था में है, लेकिन अगर हमारे युवा रिसर्चर्स को सफलता मिल गई तो इससे दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में बढ़ती ट्रैफिक समस्या से निजात मिल सकती है.
पांच साल में पूरा होगा प्रोजेक्ट
करार के तहत आईआईटी के रिसर्चर्स को यह प्रोजेक्ट अगले पांच साल में पूरा करना होगा. आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और फ्लाइट लैब के प्रमुख अजोय घोष ने बताया, ‘हम कॉन्सेप्ट पर काम करेंगे और प्रमुख टेक्नोलॉजी क्षेत्रों की पहचान करेंगे. अगले वर्षों में इस पर 100 से ज्यादा स्टूडेंट काम करेंगे.’